सबके बस की बात नहीं

छोटा सा मुद्दा कोई खास नहीं,

पर लिखकर विचार देना

सबके बस की बात नहीं,

गपोड़ कथाओं,लेखों के पीछे

आंख मूंद लोग दीवाने हैं,

हकीकत से सब सच में अनजाने हैं,

अंधे हो लोग

दोनों हाथों से बहा रहे रकम,

भविष्य की चिंता छोड़

नशे में पड़े हैं नहीं कर रहे जतन,

कुतर्कों से भरे पड़े है इनके ज्ञान,

मिथकों के लिए भागते लोग अनजान,

तर्कों की कसौटी से सजा है विज्ञान,

जो दे रहे प्रगति मानवीय सुविधाएं,

पूरी कर रहे सच में कामनाएं,

लिखने का महत्व बताता है संविधान,

जिस पर चल रहा देश विधान,

उड़ चुके हैं आकाशीय फरमान,

लिखने पर हिटलर ने दिया कारावास,

छोटी बेटी थी बदहवास,

पूछी मेरे पिता क्यों पकड़ाये हैं?

मां बोली बेटी तेरे पिता ने

लिखकर की तानाशाह की आलोचनाएं है,

मासूमियत से बोली बेटी

उन्होंने बदले में क्यों नहीं लिखा?

क्या इतना भी है नहीं सीखा?

बेटा लिखना सबके बस की बात नहीं,

लिख पाता तानाशाह तो

न क्रोधित होता और मुद्दे बनते खास नहीं।

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ छग