एक्वेरियम की मछलियाँ,
सजा काटती है अपनी सुंदरता की ।
जिंदगी जो मिली थी,
लहरों के संग खेलने की
सरिता की धाराओं के
साथ बहने की।
वो जिंदगी सजा काट रही. ...
अपनी सुंदरता की ।
सुंदरता तुम्हारी ,तुम्हारी दुश्मन हो गई।
तुम्हारे लिए उम्र कैद की सजा हो गई।
मृत्यु तो बदसूरत मछलियाँ भी पाती हैं ।
मरने से पहले मगर अपनी जिंदगी जी जाती हैं ।
खेलती है सागर की लहरों से,
सरिता की धाराओं से बात करती है ।
आजादी से जीकर ,बेखौफ़ मृत्यु का वरण करती हैं ।
मगर तुम कैद में,
शोभा बढाती किसी घर की
शीशे से टकराते हुए,
सुंदर होने के गुनाह का दंड पाती हो।
हे!एक्वेरियम की मछलियों ,
ऐसी सुंदरता क्यों पाती हो।
गरिमा राकेश 'गर्विता'
कोटा,राजस्थान