नव सृजनता का नव निर्माण करें
नव वर्ष के भोर का गुणगान करें
नव दिवस है और, नव अवसर हैं
मिलकर सब इसका सम्मान करें।
आओ मिलकर यह आशीष मांगें
दिलों में मानवता का, संचार करें
नियति के हे नियंता ये पुकार सुने
मानव-मानव आपस में प्यार करें।
दिलों में हर पल, यह सद्भाव रहे
मन सद्भावों का, यह विचार करे
तम अभिमान, कभी पास न रहे
संस्कारों को मन, अंगीकार करे।
सब का जीवन, नीत सुखमय हो
आओ हम सब, यह सदाचार करें
जीवन से सब का, तम मिट जाए
आओ ऐसा कुछ, मंगलाचार करें।
अशोक पटेल "आशु"
तुस्मा,शिवरीनारायण छ्ग
९८२७८७४५७८