दुनिया भर में सबसे सस्ता डीजल-पेट्रोल भारत में, इन देशों के हाल खराब

नई दिल्ली : कच्चे तेल में वैश्विक वृद्धि के बावजूद सरकार नागरिकों को कीमतों में बड़ी राहत दे रही है। राज्यसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2021 से नवंबर 2023 के बीच अमेरिका समेत अन्य देशों में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े, पर भारत में घटे हैं। आमतौर पर माना जाता है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत से तय होती है। तेल कंपनियां यह देखती हैं कि पिछले 15 दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भावों का औसत क्या है, उसी हिसाब से दाम तय किए जाते हैं। यानी जब कच्चे तेल के दाम घटते या बढ़ते हैं तो उसका असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ता है। 

दरअसल, इन उत्पादों पर लगने वाले टैक्स घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेट्रोल की कीमत बढ़ने का एक प्रमुख कारण स्थानीय करों की ज्यादा वसूली है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हो, लेकिन उसका असर घरेलू बाजार में इसलिए नहीं होता है क्योंकि आम उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते सरकार कई तरह के टैक्स लगा देती है। पहले इस पर उत्पाद शुल्क और उपकर लगाती है, जिससे सरकार को राजस्व मिलता है।

इसके अलावा राज्य सरकारें बिक्री कर या वैट वसूलती हैं। उसके बाद माल भाड़ा, डीलर कमीशन, वैल्यू एडेड टैक्स जुड़ जाता है। उदाहरण के लिए दिल्ली में पेट्रोल की कीमत को समझें। यहां पेट्रोल का बेस प्राइस 57.15 रुपये प्रति लीटर है। माल ढुलाई 0.20 रुपये प्रति लीटर, उत्पाद शुल्क 19.90 रुपये प्रति लीटर, डीलर कमीशन (औसत) लीटर 3.76 रुपये प्रति लीटर और वैट (डीलर कमीशन पर वैट सहित) 15.71 रुपये प्रति लीटर। इन सबको जोड़कर दिल्ली में फिलहाल पेट्रोल 96.72 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। 

भारत मुख्य रूप से आयात के माध्यम से अपनी घरेलू तेल की मांग को पूरा करता है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से मंगवाता है। कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ही तय करता है। भारत को भी उसी कीमत पर कच्चा तेल खरीदना पड़ता है, जो ओपेक तय करता है। सरकारी तेल कंपनिया पेट्रोल-डीजल की कीमत रोज तय करती हैं। इसके साथ ही भारत रूस से भी तेल आयात करता है।