सुकून

मेरा सुकून बस तेरा दिख जाना हैं ।

आठों प्रहर का नही,

चंद पलों  की  भेट में, 

उम्र भर का प्रेम समेट लेना है ।

मेरा सुकून बस तेरी मुस्कराहट है ।

जो आ जाती हैं, 

दिन के कुछ पलों में  यूँही ,

बस उसी मुस्कराहट में  मेरा डूब जाना हैं ।

मेरा सुकून है  तुझे चिंता से मुक्त देखना,

जब पैदल चलते हुए,

बेफिक्र तुम्हारा मुझे देखते चलना,

और बार  -बार  गाड़ियों से बचाते हुए, 

मुझे टोकना।

बस तुम्हारी उसी रोक-टोक में  छुपे

प्रेम में  मेरा सुकून है ।


लेखिका गरिमा राकेश 'गर्विता' 

कोटा,राजस्थान