दोस्ती एक बंधन

दोस्ती कोई रिश्ता या फरिश्ता नहीं

दोस्ती तो एक प्रेम है

दोस्ती वो प्रेम भी नहीं है

जिससे कोई निज अभावों को पूर्ण करें


दोस्ती तो एक किताब सा है

और शैतानी तो बस उसका एक पन्ना 

इस किताब को हम रोज लिखते जाते है

कुछ शैतानी और नादानी के साथ 


जो बुझते दीपक को जला दे

जो डूबते सूरज को 

नवप्रभात की आशा दे

जो अपने मित्र को समय पर 

सही ग़लत का भेद समझाए

वही सच्चा साथी है...


दोस्ती तो वो याद है

जिसे कोई बूढ़ापे में भी याद कर

उस लम्हें में खो जाता है 


बहुत बुरा तब लगता है

जब एक मित्र दूसरे को

बुरा भला जब कहता है

बकबक बकबक करके भी 

एक साथ ही रहता है

क्या फायदा इस बकझक का

जब एक साथ ही रहना है...


दोस्ती का मतलब सिर्फ 

साथ नहीं, सहारा नहीं

सहयोग नहीं, वियोग नहीं

जानु नहीं, मानु नहीं 

जान नहीं, प्राण नहीं 

तन नहीं, मन नहीं 

सूरज नहीं, तारा नही

नभ नहीं, सितारा नहीं

लगाव नहीं, अलगाव नहीं

टकलाव नहीं, भरकाव नहीं 


दोस्ती न ही अपनी जरूरत को 

पूर्ण करने का कोई जरिया है 


दोस्ती तो कई भावों का

कई अलग विचारों का संगम

एक गुलाब की पंखुड़ियां है

जिसका साथ साथ उदय 

साथ साथ अस्त होता है 

और संग ही संग गति होता है 

दोस्ती तो वो एक पवित्र बंधन है ।


लेखक :- अमरेश कुमार वर्मा

पता:- बेगूसराय, बिहार