IND vs AUS Final: भारतीय कप्तान और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने ट्रॉफी के साथ खिंचवाई तस्वीरें

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रविवार को विश्व कप 2023 का फाइनल मुकाबला खेला जाएगा। इस मैच से पहले दोनों टीमों के कप्तानों ने फोटो सेशन करवाया है। भारतीय कप्तान रोहित शर्मा और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने अहमदाबाद के एक एतिहासिक धरोहर में ट्रॉफी के साथ तस्वीरें खिंचवाई हैं।

रविवार को यह तय हो जाएगा कि यह ट्रॉफी किसके पास जाएगी। ऑस्ट्रेलिया ने जहां विश्व कप का खिताब पांच बार जीता है, वहीं टीम इंडिया ने दो बार इस खिताब पर कब्जा जमाया है। विश्व कप के इतिहास में दूसरी बार फाइनल में भारत और ऑस्ट्रेलिया का सामना होगा। 2003 में पिछली बार ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराकर खिताब जीता था।

रोहित और कमिंस ने अहमदाबाद के अडालज स्टेपवेल या अडालज की बावड़ी या अडालज वाव में फोटो शूट करवाया। यह अहमदाबाद के उक्रार में स्थित है। इसका निर्माण रानी रुदादेवी ने अपने पति कि याद में करवाया था। वह वाघेला साम्राज्य के प्रमुख वीरसिंह की पत्नी थीं। उस समय यह इलाका दांडई देश के नाम से जाना जाता था। उनके साम्राज्य में हमेशा से ही पानी की किल्लत झेलनी पड़ती थी। उन्हें बारिश पर निर्भर रहना पड़ता था।

अडालज की बावड़ी गुजरात के मुख्य आकर्षण केंद्रों में से एक है। इसके साथ ही यह भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है। बावड़ी अष्टभुजाकार है जिसका निर्माण भवन के रूप में किया गया है। यह हिन्दू-इस्लामिक कला शिल्प का अद्भुत उदाहरण है।

बावड़ी के अंदर का तापमान हमेशा बाहर के तापमान से छह डिग्री कम रहता है। राणा वीर सिंह ने अपनी प्रजा की सुविधा के लिए इस बावड़ी का निर्माण शुरू करवाया था। हालांकि, बीच में ही सुल्तान बेघारा ने राणा वीर सिंह के राज्य पर हमला कर दिया और इस युद्ध में राणा वीर सिंह की मृत्यु हो गई।

सुल्तान बेघारा ने रानी के सौंदर्य पर मोहित होकर शादी का प्रस्ताव भेजा। रानी ने उसको कूटनीति में फंसाकर उनके सामने बावड़ी निर्माण पूरा कराने की शर्त रख दी। सुल्तान ने बावड़ी निर्माण पूरा कराया, लेकिन रानी ने इसी बावड़ी में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।

भले ही अडालज की बावड़ी का इतिहास दुखद और रहा हो किन्तु इस बावड़ी का जल प्रबंधन में अतुलनीय योगदान रहा है। ऐसा माना जाता है कि गांव वाले यहां पानी लेने तथा देवी-देवताओं की पूजा करने आते थे। इस बावड़ी के पास ही उन मजदूरों की कब्र बनी है जिनकी हत्या सुल्तान ने बावड़ी निर्माण के बाद कर दी थी। सुल्तान नहीं चाहता था कि ऐसी अद्भुत बावड़ी का निर्माण कोई और करा पाए।