नवयुग का भारत

ऐ वतन तेरी इस मिट्टी पर

जब जब भी संकट छाया है

तब तब हम विध्नों को चीर

भारत मां की लाज बचाया...

गढ़ने दो कपटी दुर्योधन को

अभिमन्यु सा चक्र व्यूह

फेंकने दो गंधार नरेश को

उसकी कपटी पासा को

ये पहले वाला दिन नहीं

न ही 1962 वाला भारत है

दुश्मन हमें नैन दिखलाए

उसकी नैन नोच फेंकेंगे हम

ये नया उभरता खिलता हुआ

नव युग का नया भारत है...

आजाद, भगत सिंह, लक्ष्मी बाई 

बिस्मिल्ला, राजगुरु जैसे हमारे वीर

मिट गए निज वतन पर बारी बारी

उन्हीं तमाम वीरों की शहादत से

यह अपना भारत आजाद हुआ

यह वीरों की धरती है संतों की भूमि है

यह महा विद्वानों,महा ज्ञानियों धरती है 

बहादुरों, बगावतों,बलिदानों की भूमि है

इस माटी में हमने जन्म लिया...

यह गर्व से कम नहीं है यह गर्व से कम...

यूं ही जीने और न मरने आए हैं हम

दुनिया को अमिट निशानी देने आए हैं हम...

कवि : अमरेश कुमार वर्मा

पता: बेगूसराय, बिहार