मध्यप्रदेश के चुनावी रंग में रंग जमातें नेतागण

ये राजनीति का एक अस्त्र-शस्त्र है लोगों कों अपने करीब लाने का हथकंडा नहीं कहें सकते, यह तो अचूक बाण है वह कभी कभी चलना ही पढ़ते हैं चुनावी युद्ध में सियासत के इस रण में युद्ध करना ही पड़ता है, ऐसे कोई अपनी जमीन कैसे देगा इस पर तो हमारे अराध्य भगवान श्रीकृष्ण जी ने भी अजुर्न को गीता का उपदेश देकर उस के सार को बता कर कौरव के खिलाफ युद्ध में उसे  खड़ा किया था। 

यह तो कलयुग की राजनीति का परिदृश्य महाभारत के समान ही होता है यह सेर को सवा सेर मिलते ही है पर हास-परिहास तब लगता है जब राजनेतिक जीवन जीने वाले सफेदपोश लिबास को अपना अग्गीकृत वस्त्र मानने वालें चुनावी मौसम में ठेठ आमजन या जनता का नेता बनाने के लिए उनके जैसे दिखाने के लिए रंग बिरंगी फुलझड़ी मनोरंजन के लिए राकेट भी आसमान में छोड़ते हैं जो बिना सिर पैर की बातों से चुनावी अदा में अपना अपना जलवा दिखाते हैं , कहीं कोई नेता अचानक रुक जाता है चुनावी खिचड़ी पकाने तो कोई अपने तेवर में मसाला डोसा बनाने निकलते हैं, चुनावी मैदान में अपनी बिसात बिछानी पढ़ती है कुम्हार के घर भी जाना है भाई मिट्टी के दीये बनाना है ।

कभी कभी बड़े घरों की बहुरानी अपनी राजनीतिक चमकने के लिए क्षेत्र के गरीब के घर ठेठ देसी अंदाज में लिट्टी-चोखा वह बांटी बफाले भी सेक लेती है और तो और अगर नेताजी को जमीन खिसकती दिखती है तो वह दिन रात एक कर देते हैं थक-हारकर रोड पर ही अपनी दरी बिछाकर पंगत लगाते दिख जाते हैं हमारे नेतागण। चुनावी मौसम होता ही बड़ा जोरदार है जनता को हंसने वह  हंसाने का मौका जब ही तो मिलता है बाद में तो ? अभी तो वादों के बड़े बड़े सूतली बम दिये जाते हैं बाद में वह जरूर फुंसी निकल जाते हैं, हर जगह अनुमान गणित सब देखना पड़ता है बड़े बड़े दिग्गज भी राजनीति की पूड़ी तलते रहते हैं भाई क्योंकि इस मिशन में सब जायज़ है। 

तीर पर तीर चलते हैं कोई तलवार से भी तेज धारदार जुबानी तीर से बार करता है कोई हल्के फुल्के व्यंग से त्यौहारी मौसम में अनार चकरी जलाकर या जुबानी बातों से बार करता है, मकसद एकमात्र जनमानस के करीब जाने का रहता है घरेलू व्यंजन व पकवान के बाद फिल्मों व किक्रेट भी अपना काम करते हैं तभी तो श्याम छेनू आते हैं तो कभी शोले के किरदार जय वीरू भी हमारे राजनेता ओ  को भाते हैं कोई चौके छक्के लगाने वाले विराट कोहली की बात करता है तो कोई पुराने आलराउंडर सचिन व धोनी एक दुसरे को बताते हैं इसी प्रकार चुनावी चकलस जनता के बीच पहुंचती है पर यह पब्लिक है सही समय पर सही जगह चोट के साथ  वोट जरुर करेंगी यह तो जनता का अधिकार भी है ।

मतदान करना पर चुनावी मौसम में ही इस प्रकार मनोरंजन दृश्य देखने को मिलते हैं जब तारें जमीं पर उतारते हैं और उनकी परीक्षा होती है जनता के बीच अपना बहीखाता बतानें की , क्योंकि पांच साल का क्या काम जनता के लिए किया गया वह बताने का इसलिए हम मतदान जरूर करें आम जन की ताकत ही यही है राजा को रंक बनाने कि वह रंक को राजा बनाने की क्योंकि चुनाव में निर्णायक भूमिका जनमानस की ही होती है।

प्रेषक लेखक हरिहर सिंह चौहान 

जबरी बाग नसिया इन्दौर मध्यप्रदेश 452001

मोबाइल 98260-84157