किसी को पास रहने दें।
इस गम को ख़ास रहने दें।
सब कुछ पा कर कोई मुक्कमल कहां हुआ।
अभी ख़ुद कि तलाश में रहने दें।
मुसीबतें जो शाम को भी नहीं जाती ।
सुबह और ग़म समेट ले आती है।
मेरा मुस्कराहटो में छिपा दर्द ढूंढता है वो
दस्तक दहलीज पर देकर तन्हाई छोड़ जाता है।
और कहता है,
खुद को जिंदा लाश रहने दें।
नाम -विकाश कुमार शून्य
पता -बकुआं नौबतपुर पटना बिहार पिन कोड 804452