तुम्हीं हो रूह में मेरी बसे सांसों में हो साजन,
तुम्हीं पे आसरा मेरा मिरा विश्वास भी साजन।
मिले जब से तुझे नैना हुआ पागल ये दिल घायल
लगा पल एक में तुझको गयी दिल हार ये साजन।
नज़र के तीरों से घायल मेरा जख्मी हुआ ये दिल
दिखाकर इक झलक अपनी लगाओ घाव पर लोशन।
चुराकर दिल हुए ओझल नहीं जाना कि तुम क्या हो
बिना दिल हम तडपते हैं जिएं कैसे रुकी धड़कन।
विरह तेरा जलाता है और ये बारिश -ए- मौसम
बड़ी शीतल तरल बूंदें लगे तेजाब सी सौतन।
अरे चितचोर ओ प्रीतम जलाओ इश्क के दीपक
लगाऊं नेह की बाती भराऊं प्रीत रस रोगन।
तिरा मुखड़ा शबनमी सा दिले नादान में उतरा
नयन मूंदे खड़ी अलका नजर के सामने साजन
डॉ0 अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।