हमने जैसी चाही
उसे वैसी ही शक्ल दी,,वैसा ही आकार दिया
जैसा देखना चाहा,,वो वैसा ही दिखा ,
जो भी पूछा गया
उसने सारे जवाब दिए,, व्याख्याओं सहित !!
हम सबने उसे देखा
अपनी-अपनी नज़र से
और..
वह वैसा ही होता गया !!
हां, ईश्वर बदलता रहा स्वयं को
कभी अपना रंग,,आकार,,कभी लिबास
हमारे ही कहने पर ..
फिर, हमेशा ही ईश्वर दोषी क्यों !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ , उत्तर प्रदेश