आइए मुस्कान केशरी जी सें सुनतें और जानतें हैं छठ पूजा के बारें में।

बिहार और उत्तरप्रदेश वालों के लिए छठ पूजा सबसें बड़ा त्योहार होता है। हिंदू धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। पंचाग के अनुसार छठ पूजा का यह पावन पर्व हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है। यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। 

36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रख जाता है। छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं। छठ पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन यह पर्व चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है। दिवाली के ठीक 6 दिन बाद बिहार का सबसे बड़ा पर्व छठ आता है। इस बार छठ पूजा की शुरुआत 17 नवंबर से हुई। 

यह पर्व 4 दिनों का होता हैं, जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है। नहाय-खाय का दूसरा शब्द है खाय इस दिन नहाने के बाद एक विशेष भोजन बनाया जाता है और खाया जाता है। इस दिन जो महिलाएं व्रत करती हैं,वें सेंधा नमक सें चनें की दाल और लौकी की सब्जी देसी घी में बनाती और सेवन भी करती हैं । प्रसाद के रूप में घर कें सभी सदस्य भी सेवन करते हैं। 

उसके अगलें दिन खरना होता है, जिसमें रोटी और गुड़ की खीर बनाई जाती हैं। शाम को खरना का प्रसाद हमेशा ऐसी जगह बनाया जाता है,जहां रोजाना का खाना न बनता हैं। खरना का प्रसाद बनानें के बाद सबसें पहलें केलें के पत्तें पर रोटी, गुड़ की खीर, कुछ फल द्वारा खरना का पूजा किया जाता है।  खरना का प्रसाद सबसें पहले व्रती कों किसी शांत स्थान पर बैठकर ग्रहण करना होता है।अगर थोड़ा भी आवाज आ गया तों वों उसी समय  प्रसाद छोड़ देती थी। इसलिए घर के सभी सदस्य शांत हों जातें थें। व्रती के  खाने के बाद सभी कों प्रसाद दिया जाता है। 

छठ पूजा का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है। इस दिन छठ पर्व की मुख्य पूजा की जाती है। इस दिन सभी लोग घाट कों सजातें हैं और घाट पर व्रती आते हैं और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस वर्ष छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा। 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05 बजकर 26 मिनट पर होगा। छठ व्रत में छठी माता के लिए एक डाला बनाया जाता है, जिसे डलिया भी कहा जाता है, इस डाला में काफी चीजें रखी जाती है।जो पूजा के दौरान छठी माता को चढ़ाई जाती हैं। छठ पूजा में डाला का भी काफी महत्व होता है। 

चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और व्रत का पारण का होता है। इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन सूर्योदय 06 बजकर 47 मिनट पर होगा। 

और इसी दिन बिहार के मुजफ्फरपुर जिला में खास तौर पर रावण का पुतला बनाया जाता है और हर घाट पर,  चौराहों पर पुतला कों जलाया जाता है। सभी बड़े ही आनन्दित होकर घाट पर जाते हैं। तरह तरह की झूलें लगे होतें, व्यंजनों की दुकानें लगी होती हैं। छठी माईयाँ की कृपा सें सभी खुशी - खुशी छठ पूजा मनातें हैं। लेखिका मुस्कान केशरी जी कों भी बचपन सें छठ पूजा बहुत लोकप्रिय रहा है, वों सदैव ध्यानपूर्वक देखती और कुछ नया सिखती आई है। उन्होनें अपना अनुभव और जानकारी आप सभी कों साझा किया है । सभी कों हार्दिक शुभकामनाएँ 

मुस्कान केशरी 

मुजफ्फरपुर बिहार