मत्स्य विभाग की सभी जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मछुआ समाज को मिल रहा है- संजय निषाद

फतेहपुर। दिन सोमवार को निषाद पार्टी सुप्रीमो एवं माननीय कैबिनेट मंत्री डॉ0 संजय कुमार निषाद जनपद फतेहपुर के दौरे पर रहे उन्होंने निरीक्षण भवन में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य में केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही मत्स्य विभाग की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मछुआ समाज को सीधे तौर पर मिल रहा है उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले 9 वर्षों में देश के मछुआरों के विकास के लिए 39000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं बल्कि इसके विपरीत पूर्व की केंद्र की सरकारों ने 67 वर्ष में 3000 करोड़ रुपए ही आवंटित किए थे। 

उन्होंने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार उत्तर प्रदेश के छुआ समाज के विकास के लिए कटिबद्ध हैं। कहा कि प्रदेश में मछुआ समाज के उत्थान हेतु विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं जैसे  प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, प्रधानमंत्री मछुआ दुर्घटना बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (मत्स्य पालन क्षेत्र हेतु), मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना, निषाद राज वोट योजना, मछुआ कल्याण कोष (6 मदो के तहत मछुआ समाज को आर्थिक सहायता पहुंचाने हेतु) संचालित की जा रही हैं।

  संजय निषाद ने निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल "निषाद पार्टी" द्वारा आयोजित  संवैधानिक मछुआ एससी आरक्षण महाजन संपर्क अभियान के संदर्भ में बताते हुए कहा कि निषाद पार्टी का गठन मछुआ आरक्षण को लेकर हुआ था और आज भी निषाद पार्टी अपने मुद्दे पर अडिग है। 

पूर्व की कांग्रेस सपा बसपा की सरकारों ने मछुआ एससी आरक्षण के मुद्दे पर मछुआ समाज को केवल गुमराह करने का काम किया था, आज प्रदेश सरकार माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में मछुआ आरक्षण के मुद्दे पर गंभीर है, माननीय मुख्यमंत्री जी ने RGI रजिस्टार जनरल ऑफ़ इंडिया को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश में मछुआ समाज को पूर्व में किस कोट के तहत आरक्षण मिलता था। 

उसकी जानकारी मांगी गई थी, जिस पर रगी ने उत्तर देते हुए कहा है कि 1931, 1941, 1951, 1961, 1971, 1981, और 1991, तक उत्तर प्रदेश में मछुआ समाज की गिनती अनुसूचित जाति में की जाती थी। निषाद जी ने कहा कि उत्तराखंड की तर्ज पर शिल्पकार जाती नहीं जातियों का एक समूह है जैसा शासनादेश जारी किया जाना है की उत्तर प्रदेश में मझावर जाती नहीं जातियों का एक समूह है और विभिन्न 16 उपजातियां मझवार की पर्यायवाची जातियां हैं, प्रदेश एवं केंद्र सरकार मछुआ आरक्षण के विषय पर गंभीर है और जल्द ही सुखद परिणाम देखने को मिलेंगे।