भारत का जीवन दर्शन जो
परम सारथि सूर्य प्रचंड
वेद पुराणों उपनिषदों ने
गाए इनपर सुंदर छंद।
है प्रत्यक्ष ये देव दिवाकर
उदयाचल भर आता ओज
बाकी सब तो बड़ा गूढ़ है
मिलना मुश्किल जितना खोज।
मात अदिति के पुत्र हुए जो
पड़ा उसी से आदित्य नाम
उन्हें समर्पित है छठ व्रत यह
बने सभी के बिगड़े काम।
अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता
करें भक्ति से छठ व्रत आप
कृष्ण पुत्र ने किया कभी जो
मिटा कुष्ठ का भीषण शाप।
सागर उमड़ा है भक्तों का
नदी तटों पर लगती भीड़
अर्घ्य चढ़ाते सब दिनकर को
जो हर लेते सबकी पीड़।
भुवन हरेंगे तिमिर तुम्हारे
खुशियों का देंगे उपहार
उनसे हीं अविरल नदियां सब
भर देते जल में रसधार।
उदय अस्त का भेद न मानो
उभय प्रहर लगता है भोग
सांझ सवेरे में पूजन का
छठ व्रत पर अनुपम संयोग।
स्रोत अपरिमित हैं उर्जा के
सभी रसों के वाहक आप
किरणों के रथ पर जो आते
चलो करें सविता का जाप।
मधुकर वनमाली
मुजफ्फरपुर बिहार
स्वरचित एवं मौलिक
मो - 7903958085