गम से घिरी बदरिया में
रिमझिम बरखा तुम बरसा दो
निराशा से घिरे अंधकार में
आशा की किरण दिखा दो
सुधबुध अपनी मैं भूल जाऊं
तुम ऐसी मीठी तान सुना दो
तन यह मेरा लगे महकने
एक प्यार का गीत सुना दो
यूं तो संग रिश्तों का मेला है
दिल फिर भी कितना अकेला
मन का पंछी लगे चहकने
एक प्यार का गीत सुना दो
विरह वेदना व्यथित मन में
मिलन की कोई आस जगा दो
धड़कन दिल की लगूं थामने
एक प्यार का गीत सुना दो
अकुलाहट सी क्यूं पैर पसारे
व्याकुल नैना पंथ निहारे
मधुर दिनों की याद दिला दे जो
एक प्यार का गीत सुना दो
स्वरचित एवं मौलिक
अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश