बनी रहना चाहती हुँ
तुम्हारे साथ सदा
तुम्हारी स्मृतियों में
तुम्हारी परछाई बनबकर
जिसबसे भुला ना सको
तुम कभी मुझे...!
कुछ निशानियाँ
छोड़ देना चाहती हुँ,
हर कोने में, हर जगह
तुम्हारे लिए
जो मेरे जाने के बाद
दिलायेगी मेरी याद
तुम्हें हर पल...!
छोड़ देना चाहती हुँ मैं
शीशे पर लगी कुमकुम
महावर लगे पैरों की छाप
घर की चौखट पर...!
शर्ट पर तुम्हारी
अपनी मेहँदी के
धुँधले से निशां...!
वो रातरानी का पौधा
जो महकेगा रात भर
दिलायेगा, मेरी याद
जोड़े रखेगा तुम्हें
मुझ तक...!
छोड़ देना चाहती हूँ मैं
वो मुस्कुराती हुई
तस्वीर अपनी
जिसे तुमने सजा रखा है
अपने सिरहाने...!
चाहती हुँ ऐसे ही रहे सदा
तुम्हारा यह विश्वास
प्रेम और एहसास...!
जो मेरे जाने के बाद भी
तुम्हें मुझसे जोड़े रखेगा
मिलती रहूँगी मैं तुझ से
उस एहसास के बहाने
तुम्हारी स्मृतियों में हमेशा...!
सुमंगला सुमन
मुंबई, महाराष्ट्र