विश्वास हमारा-तुम्हारा

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

मत सुनों मेरे प्रश्नों को..

मत उलझो मेरे तर्क-वितर्कों में..

मत देखो मेरी आंखों की तरफ..

मत दो मुझे,,अपना थोड़ा सा समय..

एकतरफा खिसका दो मेरी सारी शिकायतें..

बस एक पल को ही..

ज़रा सा ही..

स्पर्श तो करो हथेलियों से अपनी

मेरी हथेलियों पर रखा

वो "अनमना सा हरापन" ,

यकीनन, पल्लवित होने लगेगी

हमारे विश्वास की अमर बेल !!

नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश