निष्कर्ष,,...

किसी की राह इतनी भी न देखे कि

वह भगवान बन जाए....

किसीकी चाहत इतनी भी न करे कि 

वह बेशकीमती बन जाए.....

झुकना उतना ही उत्तम

जिसका सम्मान हो

वरना लोग तुम्हे सेवक समझने न लग जाए....

बिना इम्तिहान किसी का गुरू मत बनना

ज्ञान मूल्यहीन हो जाएगा

और शिष्य कृतघ्न न बन जाए......

किसीका महत्व इतना ना बढाना कि 

वह खुदको सर्वश्रेष्ठ समझने लगे

और आप क्षुद्र न बन जाए....

सम्मान से समझोता कभी मत करना

किसीको राजा समझने की भूल मत करना

मृत्यु सबको है किसीको ईश्वर मत समझना

उत्कृष्ट कर्म और अखंड अध्ययन को

जीवन का फलसफा बना लेना

खुद को निम्न समझने की भूल मत करना...

राम पंचभाई 7020498986