गृहिणी

जब पति से पूछा जाता है कि उनकी पत्नियाँ क्या करती हैं, तो देश भर में पुरुषों का जवाब होता है, "वह सिर्फ एक गृहिणी है।" उन महिलाओं के प्रति पुरुषों की अज्ञानता का यह चित्रण, जिनके पास पूर्णकालिक नौकरियां हैं, घर संभालना, बच्चों और बूढ़े ससुराल वालों की देखभाल करना,दिन में भोजन पकाना, वित्तीय बजट बनाए रखना आदि, आज के समय की वास्तविकता को दृष्टिगोचर करने के साथ ही गृहिणी की कुशल गृह संचालन की ओर इंगित करते हैं।

                हमारे ही देश में कहा जाता है- 'बिन घरनी घर भूत का डेरा।' हम सारे इस बात को जानते हैं कि कोमल वस्तु पर प्रभाव अत्यंत शीघ्र किंतु स्थाई पड़ता है । छोटे कोमल पौधों को माली जैसे चाहता है वैसे वह कर देता है, मिट्टी के बर्तन को एक कुम्हार अपनी इच्छा अनुसार आकृति देता है। ठीक उसी प्रकार एक छोटे बालक की स्थिति होती है ।उनकी प्रकृति, उनकी बुद्धि ,उनका स्वभाव, मस्तिष्क, हृदय आदि इतने सरल और कोमल होते हैं कि उन पर आप जो संस्कार डालना चाहे डाल दीजिए। आपको किसी प्रकार का परिश्रम नहीं करना पड़ेगा इस सबका उत्तरदायित्व एक गृहिणी अपने कंधों पर उठाकर जीवनपर्यंत चलती है।

                   एक परिवार में गृहिणी कई भूमिकाओं में हो सकती है। जैसे बेटी, बहन, पत्नी व मां के रूप में, गृहिणी के यह चारों ही रूप पूजनीय, सम्माननीय हैं। इन चारों ही भूमिकाओं में वह अपना कर्तव्य का पालन करती है ।अपना स्नेह प्यार व ममता लुटाती है। बेटी के रूप में अपने माता पिता का गौरव बढ़ाती है। बहन के रूप में अपने भाई का सहयोग करती है। पत्नी के रूप में अपने पति के हर सुख दुख में बराबर की भागीदार होती है।महिलाएं घर की साफ-सफाई करती हैं। दिन में कई बार नाश्ता व् खाना बनाती हैं, कपड़े धोती हैं ,बच्चों को पालती हैं, उन्हें सुबह सुबह स्कूल के लिए तैयार करती हैं, उनकी हैसियत एक प्रतिष्ठित सोशल इंजीनियर की तो है ही। इस हैसियत से  सम्मान व सुविधाओं को तो निश्चित ही हकदार है।

                   भले ही यह एक भुगतान वाला पेशा नहीं है, फिर भी गृहकार्य एक बड़े सामाजिक उद्देश्य को पूरा करता है। गृहणियों को उनके परिवार के प्रति समर्पण के लिए पहचानना भी महत्वपूर्ण है। वे अपने सहयोगियों, बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के आनंदमय, आरामदायक जीवन को सुविधाजनक बनाती हैं। जब जीवन थोड़ा कठिन हो जाता है, तो वे परिवार को आश्रय प्रदान करती हैं।

        इतना आसान नहीं होता है एक गृहिणी होना

        न्योछावर करना पड़ता है अपना स्वप्न सलोना

        बिना सोए बीत जाया करती है कितनी रातें

        बहुत मुश्किल होता है एक गृहिणी ज

स्वरचित एवं मौलिक

अलका शर्मा, शामली, उत्तर प्रदेश