दामिनी (विजात छंद )

सुनो तुम दामिनी प्यारी,चली आना सखी न्यारी |

गगन में देखकर  लाली,चमकती  दामिनी वाली ||


सदा मन प्रेम को धारे,सवारों काज यूँ सारे |

खिले है फूल  ये सारे, सुहाते खूब  है प्यारे ||


ह्रदय  मेरा  लुभाती  है,बहारें  संग  लाती  है |

सदा मन प्रेम को धारे,सवारों काज  को सारे ||


खिला जो रूप है  प्यारा,बुलाता  दामिनी  यारा |

तुम्हीं हो प्राण से प्यारी,सृजन की युक्ति है सारी ||


तड़प मेरी कहे आजा,चले आओ सुनो राजा |

दिया दिल  साँवरें  मेरे ,रहूँगी  साथ  में  तेरे ||


गजब लाली खिली भाई,सरस बूँदें  घटा लाई |

चलो सब छोड़ दो बातें,कटे अब प्रेम की रातें ||


तुम्हारी याद है आती,गरज कर दामिनी जाती |

नया संदेश वो लाती,विरह  के  गीत  है गाती ||


मुझे  गंगा  नहाना  है , सभी  फेरा  निभाना  है |

सभी कुछ छोड़ती जाऊँ,भुला मन श्याम को पाऊँ ||


मिलन के  गीत  गाना  है,माथ  बिंदी  लगाना  है |

नजर भर कर मुझे देखो,लिखा क्या लेखनी लेखो ||



पुकारूँ ईश की ऐसे,मिले मन मीत को जैसे |

सुहाना रूप यूँ लागे,बँधे  जो  प्रीत के  धागे ||


खड़े  गंगा  किनारे  है , बहे  रिश्ते  हमारे  है |

सुपथ चलना सलीके से,ह्रदय पावन रहे जैसे ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश