"तीजा तिहार"

आवै मइके मा सबो, माने तीज तिहार।

बहिनी बेटी देख के, कुलकै अंँगना द्वार।।

कुलकै अँगना द्वार, हाँस के गोठ सुनाथे।

दाई बाबू संग, नवा लुगरा ल बिसाथे।।

रोटी पीठा राँध, सुघर सब मिल के खावै।

महके घर परिवार, बहन मइके जब आवै।।


करथे पूजा पाठ ला, निर्जल रहे उपास।

बाबा भोलेनाथ हा, हिरदै करे निवास।।

हिरदै करे निवास, देव के आसिस पाथे।

जो माँगे वरदान, सफल ओहर हो जाथे।।

अँचरा ला फैलाय, शिवा झोली ला भरथे।

बाढ़े पति के उम्र, आस पत्नी हा करथे।।


कतरा भजिया अउ बरा, अम्मटहा के साग।

घर घर मा येहर बने, जागे सब के भाग।।

जागे सब के भाग, घरो घर बहिनी जावै।

घूम घूम के आज, बरा भजिया ला खावै।।

जादा खावै जेन, बढ़े ओखर जी खतरा।

तभो जीव ललचाय, खाय बर भजिया कतरा।।


रचनाकार

प्रिया देवांगन "प्रियू"

राजिम

जिला - गरियाबंद

छत्तीसगढ़

Priyadewangan1997@gmail.com