मातृभाषा द्वितीय हो गई।

आंग्ल को प्रथम स्थान जहां मातृभाषा द्वितीय हो गई।

 न्यायालय से कार्यालय आंग्ल हर जगह प्रथम हो गई।

सरल सहज सरस सुन्दर शब्द मीठी भाषा है अपनी।

किन्तु विवश असहाय अपने ही घर में पराई हो गई।

                         मातृभाषा द्वितीय हो गई------

मौन होकर पीड़ा नित सहती हिंदी नित दिन रोती है।

दिल्ली मुंबई सभी जगह शुरूआत आंग्ल से होती है।

शाशन के सत्ताधारी हो या राजभवन पंचायत हो।

विद्यालय में शिक्षक शिष्य संवाद आंग्ल में होती है।

                            मातृभाषा द्वितीय हो गई------

हिंदी को पढ़ने लिखने और बोलने में सब शरमाते है।

आंग्ल की असभ्य जानकारी स्वयं अच्छा दिखलाते है।

दिन शुरू आंग्ल शब्द से जहां देश के ही बच्चे करते है।

हिंदी को हिंदी कहने में जाने क्यो इतना सब डरते है।

                            मातृभाषा द्वितीय हो गई------

                    "प्रभात गौर"