बुजुर्गों ने जीवन जीना सिख़ाया हैं

बुजुर्ग हमारे मार्गदर्शक प्रेरणा स्त्रोत हैं 

एहसान उनके हम पर बहुत हैं 

बुजुर्गों ने जीवन जीना सिख़ाया हैं 

परिवार के वैचारिक रक्षक हैं 


ज़ग में बुजुर्गों बिना सब अधूरा है 

जिनके पास बुजुर्ग है छायाछात्र  पूरा है 

सर पर हाथ बुजुर्गों का नहीं जिन पर 

जीवन सख़ चैन सब अधूरा है


बुजुर्ग हमारे ईश्वर अल्लाह हैं 

परिवार की आन बान शान है 

बुजुर्ग बिना आध्यात्म अधूरा हैं 

पुण्य बुजुर्गों की सेवा में पूरा हैं 


बुजुर्गों को ईश्वर अल्लाह मानोगे 

संकल्प करो यह वचन ठानोगे 

बुजुर्गों की हर बात मानोगे 

सेवा सहयोग कर फ़ल की मिठास जानोगे-4


लेखक- कर विशेषज्ञ, साहित्यकार, कानूनी लेखक, चिंतक, कवि, एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र