हिंदी महत्ता के दोहे

बनी हमारी ज़िन्दगी,हिंदी जिसका नाम।

जीवन को सुविचार दे,करती सारे काम।।


हिंदी नियमित संग है,सदा निभाती साथ।

कोई भी हो प्रांत यह,नहीं छोड़ती हाथ।।


हिन्दी हितकर है सदा,हिन्दी इक अभियान !

हिन्दी में तो आन है,हिन्दी में है शान ।।


हिन्दी सदा विशिष्ट है,हिन्दी प्रखर,महान।

हिन्दी अपनायें सभी,पायें नित उत्थान।।


कला और साहित्य है,पूर्ण करे अरमान ।

हिन्दी में है उच्चता,मनुज सभी लें जान ।।


हिन्दी सुर,लय,ताल है,हिंदी है वरदान। 

हिन्दी पर अभिमान है,हिन्दी मम् गुणगान ।।


हिन्दी मधुरिम गान है,हिन्दी है उत्कर्ष।

हिन्दी माने हीन जो,वह नहिं पाता हर्ष ।।


हिन्दी में सामर्थ्य है,हिन्दी में है वेग।

हिन्दी तो सचमुच सरल,लिये मधुरता-नेग।।


हिन्दी में अध्यात्म है,हरसाता है धर्म ।

लेखक,कवि जो कह रहे,समझे उसका मर्म ।।


हिन्दी है भाषा बड़ी,संस्कारों की धूप ।

हिन्दी है नेहिल सदा,मानें मंत्री,भूप ।।


भाषा हिन्दी राष्ट्र की,लिये राष्ट्रहित-भाव ।

हिन्दी भाषी नित रखें,निज भाषा का ताव।।


संस्कार पोषित करे,अनुशासन का जोश।

हिन्दी हमको दे रही,नैतिकता का होश ।।

    

              --प्रो. (डॉ.) शरद नारायण खरे