हिन्दी की व्यापकता

हिन्दी जीवन हिन्दी तन मन रोम रोम में  हिन्दी है

 जनजन हिन्दी घर-घर हिन्दी जननी मेरी हिन्दी है

योगी की बिंदी है हिन्दी भोगी की काया  हिन्दी है

हिन्दी से ही हम हैं  हिन्दू अस्तित्व हमारा हिन्दी है


प्रणवाक्षर की बिंदी हिन्दी जग की माया हिन्दी है

अनहद नाद के स्वर की रचना करती माता हिन्दी है

धन्य धन्य वह संस्कृत माता जो हिन्दी की जननी है

वेद ऋचाओं की भाषा में छुपे शब्द वह हिन्दी है


कवियों की वाणी है हिन्दी वीरों की ललकार है

सुहाग की माथे की बिंदिया रणभेरी की टंकार है

कान्हा की मुरली है हिन्दी राधा का श्रंगार  है

तुलसी मन-मंदिर में हिन्दी रामचरित आकर है

 

हिन्दी बचपन हिन्दी यौवन इसका हृदय विशाल है

इंग्लिश उर्दू और फारसी सबको किया निहाल है

संघर्षों की बड़ी कहानी इसने किया कमाल  है

राज्य राष्ट्र से ऊपर बढ़ कर जग की छत्रसाल है


प्रेम प्यार की भाषा हिन्दी आपस सौहार्द बढ़ाती है

टूटे दिलों को जोड़ने वाली सबको गले लगाती है

अंधियारे में दौड़ रहे जो उजियारा दिखलाती है

राष्ट्र साधना के साधक पर निश दिन रस बरसाती है


     बच्चूलाल दीक्षित

दबोहा भिण्ड हाल/ग्वालियर