ना जाने कब जिंदगी की शाम हो जाए

सबके दुख -सुख सुन लेना

अपने भी कह लेना

जो भी मिल जाए जिंदगी में

उसी में ही तुम खुश रहना l


कभी उम्र देखकर अपनी

गिला मत करना, 

उम्र कौन सी किसी की उधार देनी है

यही ध्यान में हरदम धरना।


 जिंदगी के हर दौर पे मुस्कुराते जाना

क्योंकि जिंदगी का हर पड़ाव है मजेदार 

बस इसको हंसकर

तुम पार करते जाना l


ये जिंदगी भरोसे के लायक नहीं है

ना जाने कब जिंदगी की शाम हो जाए

कब मौत का फ़रिश्ता लेने आ जाए

इसलिए जो भी है जीवन, ख़ुशी से जी लो

जिंदगी में पल पल का मज़ा ले लो l


करमजीत कौर,शहर-मलोट

जिला-श्री मुक्तसर साहिब, पंजाब