नकवी ने कहा, ‘‘ देश में हर छह महीने में कहीं न कहीं कोई चुनाव होते हैं और राजनीतिक पार्टियां हर समय में चुनाव मशीन बन जाती हैं। इससे जहां एक तरफ जन धन की बर्बादी होती है, वहीं दूसरी तरफ विकास कार्यों में बाधा पहुंचती है। साथ ही इससे लोगों में चुनावों के प्रति बढ़ती उदासीनता के चलते यह लोकतंत्र के पर्व को फीका बना रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘एक देश-एक चुनाव' के लिए कई बार आह्वान कर चुके हैं, लेकिन कुछ राजनीतिक दलों का रवैया इस विषय पर उदासीन और नकारात्मक रहा है। जनता चाहती है कि लगातार चुनावी चक्रव्यूह के चक्कर से बाहर निकले और ‘एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था लागू हो। नकवी के अनुसार, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने से ना केवल बेतहाशा जन धन की बर्बादी रुकेगी, वहीं बार-बार चुनावी प्रक्रिया और बंदिशों से विभिन्न विकास कार्यों में जो बाधा होती है वह भी खत्म हो सकेगी।