" नींद न आना खतरनाक "

           सोना आजकल सोने से भी महंगा हो गया है। नीद न आने की समस्या आम होकर बढ़ती जा रही है जो न सिर्फ तन, मन के लिए बल्कि इस देश के लिए भी घातक है। आइए इस पर विस्तार से बात करते हैं। जल्दी सो जाना और जल्दी जागना हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है हमें पता है। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि आज के समय यह कितना मुश्किल काम भी है। आजकल ज्यादातर इसका उल्टा हो रहा है। हम रात देर तक जागते हैं और सुबह भी देर तक ही जागते हैं। जागने के कारण कई हो सकते हैं जैसे कि देर तक जागकर पढ़ाई करना, किसी प्रोजेक्ट आदि में संलग्न रहकर काम करना, शांत माहौल में किसी से बात करना या फिर सोशल मीडिया नेटवर्किंग का उपयोग करना। अब बात यदि मोबाइल की करें तो इसकी अलग-अलग तासीर समझ में आती है। किसी को मोबाइल चलाने के कारण नीद नहीं आती, तो कोई नीद न आने के कारण मोबाइल चलाता है। नीद न आने के अन्यान्य कारण जैसे चिंता, चिंतन, तनाव हो सकते हैं। तनाव होने के कारण शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जो कि एक स्ट्रेस हार्मोन है। इसकी वजह से शरीर आराम की स्थिति में नहीं रह पाता है और दिमाग सक्रिय रहता है, जिससे नीद आना मुश्किल हो जाता है। हमारे खोजकर्ता भी इसकी पुष्टि करते हैं।

           यह कलयुग है अर्थात मशीनी युग, वर्तमान युग में स्वस्थ मनोरंजन, हँसी खुशी का माहौल उपलब्ध न होने, प्रतिस्पर्धा एवम मशीन जैसी जिंदगी के कारण हमारे युवा,प्रौढ़ और वृद्ध सभी तनाव से जूझने के कारण यह अनिद्रा का रोग तेजी से बढ़ रहा है। अनिद्रा या उन्नद रोग तन,मन से लेकर देश के लिए अत्यंत दुष्परिणाम कारक हैं जो कुछ हम महसूस करते हैं और कुछ हमारे सामने हैं। अनिद्रा से मन में चिड़चिड़ापन, तन में जकड़न, और सिर भारी होता है। वहीं दूसरी तरफ विवाहितों को नीद न आने से पांव भी भारी हो जाता है जो कि जनसंख्या वृद्धि के कारणों में से एक है, को देश के लिए चिंता का विषय है। आपने भी पढ़ा ही होगा जनसंख्या वृद्धि के कारणों में एक कारण मनोरंजन का अभाव भी है। शहरों में तो मनोरंजन की कोई कमी नहीं है, यहां मनोरंजन के अनेकानेक संसाधन उपलब्ध हैं। हर घर में टीवी, एंड्रॉयड मोबाईल फोन से लेकर होम थियेटर तक मौजूद रहता है। यहां जागरूकता और जनसंख्या वृद्धि रोकने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले अन्य साधनों की भी कमी नहीं है। शहर के पढ़े लिखे लोग "हम दो हमारे दो" के नियम को अपनाते हैं, बल्कि आज का युवा कपल तो "हम दो हमारा एक" का सिद्धांत अपना रहा है। लेकिन ग्रामीण जनता का क्या करें? भारत में संसार की सबसे अधिक अनपढ़ जनसंख्या निवास करती है। हमारे देश की कुल का लाभग बहत्तर प्रतिशत भाग ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करता है, जहां न पर्याप्त जागरूकता, न मनोरंजन के साधन, न रात में और कोई काम। बच्चे तो बढ़ा ही रहे हैं परंतु उनको पढ़ा भी नहीं रहे हैं। तब कहना चाहता हूं -

"अब सुधारो अपनी भूल, 

बच्चों को भेजो स्कूल।"

मौलिक/अप्रकाशित

अमर सिंह राय (शिक्षक)

नौगांव, मध्य प्रदेश

Mob.  9425342534