1
रेत ही रेत
वारिद की दो बूंद
मरु अमृत
2
सारंग पाँख
सिंधु की गहराई
मानुष आँख
3
जीवन माला
मकड़ी की जाला में
तितली फंसी
4
विटप छाँव
जन्म से मृत्यु तक
खेलते पाँव
5
खिला कमल
महका सरोवर
भौंरा हर्षित
6
घर से भले
वात्सल्यता के धनी
मठ में पले
7
लंबी सड़क
लुप्त घने जंगल
धूप कड़क
8
जन विह्लल
मृत्यु की तिजारत
अदृश्य शूल
9
सृष्टि से जुड़े
नैसर्गिक संताप
धूसर पड़े
10
उड़ा परिंदा
अविचल मस्तिष्क
मुक्त चितेरा
11
तितली उड़ी
पुष्पमेघ पावन
चमक उठी
12
अनाथा रोये
डगर काटों भरी
हौसला खोये
13
मिट्टी का दीया
कंगन आकृतियां
गड़े पहिया
14
दरिया शांत
घनघोर बादल
ताड़ित घात
15
चिन्मय मीन
मेघों के आकाश में
पूर्ण चन्द्रमा
✍️ ज्योति नव्या श्री
रामगढ़ , झारखंड