सावन

चहुँ ओर हरियाली छाई आया महीना सावन का,

डाली डाली झूले पड़ गए आया महीना सावन का,


कर सोलह श्रृंगार सजनियाँ हाथ हरी चुरिया डारी,

मांग में सेंदुर लाल लाल अखियां लागे सुरमेदानी,

झूमे तन मन गोरी का आया है महीना सावन का,

डाली डाली झूले पड़ गए आया महीना सावन का।


हवा बहे सुंदर मतवाली बादल काले काले छाए,

सावन के मौसम में साजन याद तुम्हारी ख़ूबहि आये,

तुम तो गए परदेश ओ साजन आया महीना सावन का,

डाली डाली झूले पड़ गए आया महीना सावन का।


पीहर में सखियों संग झूला झूलू मन ये बहका जाए,

हांथो में रची मेंहदी साजन मन आंगन महका जाए,

मेहंदी में तस्वीर निहारूँ आया महीना सावन का,

डाली डाली झूले पड़ गए आया महीना सावन का।


इंदु विवेक उदैनियाँ

उरई (उत्तर प्रदेश)