पर्युषण पर्व के चौथे दिन कुशल वाटिका में हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

गिरनार भक्त मण्डल ने शंखनाद की धुन के साथ किया भगवान का पक्षाल व केशर पूजा

पर्युषण पर्व के दौरान दुल्हन की तरह सजा कुशल वाटिका

मुनिसुव्रत स्वामी भगवान की सजी भव्य आंगी

पुण्य के पोषण, पाप के शोषण और आत्मशुद्धि का पर्व है पर्युषण महापर्व-साध्वी विधुत्प्रभाश्री

बाडमेर । बाडमेर-अहमदाबाद रोड पर स्थित कुशल वाटिका में विश्व का अद्वितीय राजहंस मन्दिर में पर्युषण पर्व के चौथे दिन शनिवार को हजारों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर पूजा अर्चना की और चातुर्मास के दौरान विराजमान कुशल वाटिका प्रेरिका बहन म.सा. साध्वी विधत्प्रभा श्रीजी व माताजी म.सा. रत्नमाला श्रीजी व अन्य साध्वीवृन्द के दर्शन कर सुखशाता पुछा। कुशल वाटिका ट्रस्ट के उपाध्यक्ष द्वारकादास डोसी ने बताया कि शनिवार को बाडमेर शहर के समीप कुशल वाटिका प्रांगण में स्थित जिन मन्दिर में पर्युषण पर्व के चौथे दिन शनिवार को कुशल वाटिका पहुंच कर हजारों जैन धर्मवलम्बियों ने दर्शन किए। 

जिसमें बाडमेर शहर सहित आस-पास के अन्य गावों से जैन बन्धुओं ने पहुंच कर पूजा अर्चना की। जहां कुशल वाटिका में विराजमान मूलनायक मुनिसुव्रत स्वामी भगवान मन्दिर, दादावाडी, नवग्रह मन्दिर, गुरू मन्दिर, देवी-देवताओ मन्दिर आदि मन्दिरो के दर्शन, पूजा, अर्चना आदि की गई। डोसी ने बताया कि शनिवार को कुशल वाटिका में प्रातः 8.00 बजेे गिरनार भक्त मण्डल द्वारा शंखनाद व ढोल की थाप लय व सुर के साथ गीत के माध्यम से भगवान का पक्षाल किया गया और विधि व श्लोक के साथ केशर पूजा की गई।

 पर्युषण पर्व के दौरान भगवान के पक्षाल का लाभ कैलाशचन्द जगदीशचन्द ताराचन्द धारीवाल परिवार, केशर पूजा का लाभ पुरूषोतमदास बांकीदास वडेरा परिवार व भगवान की आरती व मंगल दीपक का लाभ चम्पालाल हीरालाल छाजेड़ परिवार द्वारा लिया गया। श्रद्वालुओं ने केशर पूजा कर मन को शान्ति जैसा आनन्द महसुस कर रहे थे जैसे पर्युषण पर्व होते हुए हजारों भक्त पहंुचे कुशल वाटिका। जहां कुशल वाटिका ट्रस्ट मण्डल की और से भाता प्रभावना व प्रसादी की व्यवस्था की गई।

साध्वी विधुत्प्रभाश्री का 46वीं वर्धमान ओलीजी तप का पारणा सम्पन्न हुआ-पर्युषण महापर्व के दौरान कुशल वाटिका प्रेरिका बहन म.सा. साध्वी विधुत्प्रभाश्री का वर्धमान तप के 46वीं ओली का पारणा शनिवार को कुशल वाटिका प्रांगण में सहर्ष सम्पन्न हुआ। पुण्य के पोषण, पाप के शोषण और आत्मशुद्धि का पर्व है पर्युषण महापर्व-साध्वी विधुत्प्रभाश्री साध्वी विधुत्प्रभाश्री ने कहा कि यह पर्व पुण्य के पोषण, पाप के शोषण और आत्मशुद्धि का पर्व है। इसलिए 8 दिन जीव हिंसा से बचना चाहिए। आत्मा में रहने के लिए यह पर्व तीन बातें बताता है। जीवन जीने की कला, जीवन को सरलता से जीने का उपाय और स्वभाव में परिवर्तन। आत्मा के तीन गुण हैं इनमें तत्व गुण, रजो गुण और तजो गुण। इसलिए पर्युषण में प्रत्येक व्यक्ति को 5 कर्तव्य का अनिवार्य रूप से पालन करना चाहिए। 

जैन अनुयायियों के आध्यात्मिक पर्वों में अग्रगण्य और जैन एकता का प्रतीक पर्व है। इसका अर्थ आत्मा के उच्च भावों में रमण और आत्मा के सात्विक भावों का चिंतन। संवत्सरी पर क्षमापना याचना का विशेष महत्व बताते हुए कहा कि पर्युषण पर्व के आखिरी दिन संवत्सरी पर गुरु के सन्मुख प्राणीमात्र से ज्ञात-अज्ञात स्वार्थ या प्रमाद वश हुईं गलतियों के लिए अंतरमन की गहराई से जीव मात्र से क्षमायाचना की जाती है तथा दूसरों को क्षमादान दिया जाता है।

पर्युषण पर्व के चौथे दिन रंग-बिरंगी रोशनी से सजा कुशल वाटिका व सजी भव्य आंगी कुशल वाटिका में विश्व का द्वितीय राजहंस मन्दिर में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के चौथे दिन शनिवार को रंग बिरंगी रोशनी व आंगी सजाई गई। बाडमेर शहर के समीप कुशल वाटिका प्रांगण में पर्युषण पर्व के दौरान कुशल वाटिका में मुनिसुव्रत स्वामी भगवान मन्दिर, दादावाडी, नवग्रह मन्दिर, गुरू मन्दिर, देवी-देवताओ के आदि मन्दिरो के को दुधिया रोशनी व तोरण द्वार द्वारा सजाया गया व जिन मन्दिर में दर्शन, पूजा, आदि का कार्यक्रम हुआ। 

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के चौथे दिन कुशल वाटिका को भव्य तोरण द्वार व लाइटिंग से सजाया गया व रात्रि में भगवान मुनिसुव्रत स्वामी की भव्य आंगी सजायी गयी और रात्रि में आरती की गई। पर्युषण पर्व के दौरान कुशल वाटिका ट्रस्ट मण्डल, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद, केयुप, अखिल भारतीय महिला परिषद केएमपी व कुशल वाटिका मित्र मण्डल, गिरनार भक्त मण्डल व कई भक्तगण उपस्थित थे।