बादल में चाँद

बादल में चाँद यूँ छुपा,

जैसे आँचल में श्याम छुपा।


करे चाँदनी से आँख मिचौली,

नभ में रजत वितान छुपा।


चकोरी भी है राह निहारे,

हिय में प्रीत का तान छुपा।


मामा बन जाये कभी बच्चों का,

कभी इसमें प्रेमी का प्यार छुपा।


ईद का मुबारक़ चाँद अमन लाये,

करवा में सुहागन का सुहाग छुपा।


ऐ चाँद तू छुपा छुपाई का खेल बंद कर

तेरे हर रूप में मोहब्बत का पैग़ाम छुपा।


                रीमा सिन्हा (लखनऊ)