पावस पावन धाम, ध्यान में मेरे रहते |
आखर आखर नाम, हृदय तुम मेरे बसते ||
देना सबको प्यार, रहे मन हमने जाना |
तेरा मेरा साथ, सकल जग ने ये माना ||
पावस पावन धार, प्रेम में जग उजियारा |
कहती गंगा मातु, बहे है अविरल धारा ||
झर -झर झरना नीर,देख कर मन घबराये ||
आना प्रियतम आज,मिलूँ मन कहता जाये ||
सावन आया आज, झूलती सखियाँ प्यारी |
आती तेरी याद,जान ले यारी न्यारी ||
मनवा बसता गीत, अधर हैं प्यासे मेरे |
नयना बरसे नीर, संग में जाऊँ तेरे ||
प्रियवर मेरे आज, तुम्हीं हो मुझमें बसते |
मानो मेरी बात, याद में हरपल रहते ||
संग रहूँ मैं यार, सजे हैं प्यार तराना |
तू जो कहे दूँ साथ, सुना दो गीत सुहाना ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश