" पावस " (रोला छंद )


पावस पावन धाम, ध्यान में मेरे रहते |

आखर आखर नाम, हृदय तुम मेरे बसते ||

देना सबको प्यार, रहे मन  हमने जाना |

तेरा मेरा साथ, सकल जग ने ये माना ||

पावस पावन धार, प्रेम में जग उजियारा |

कहती गंगा मातु, बहे है अविरल धारा ||

झर -झर  झरना नीर,देख कर मन घबराये ||

आना प्रियतम आज,मिलूँ मन कहता जाये ||

सावन आया आज, झूलती सखियाँ प्यारी |

आती तेरी याद,जान ले यारी न्यारी ||

मनवा  बसता गीत, अधर हैं प्यासे मेरे |

नयना बरसे नीर, संग में जाऊँ तेरे ||

प्रियवर मेरे आज, तुम्हीं हो मुझमें बसते |

मानो मेरी बात, याद में हरपल रहते ||

संग रहूँ मैं यार, सजे हैं प्यार तराना |

तू जो कहे दूँ साथ, सुना दो गीत सुहाना ||

_________

कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश