प्रयासः क्षय रोगियों को लेकर बदल रहा समाज का नजरिया

-सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से आगे बढ़ रही मुहिम

-सरकार ने 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त करने का तय किया है लक्ष्य

मथुरा। क्षय रोग के प्रति जहां समाज में जागरुकता बढ़ रही है वहीं अब क्षय रोगियों का भी मनोबल बढ़ रहा है। यह सब संभव हो पा रहा है स्वास्थ्य विभाग और समाजसेवी संगठनों के गठबंधन से। क्षय रोगी पिंकी वाल्मीकि बताती हैं कि जब उन्हें पता चला कि उन्हें क्षय रोग है तो उन्हें काफी चिंता हुई। उन्होंने बताया कि उनके पति मजदूर हैं। घर में आर्थिक स्थिति सही नहीं है।

 ऐसे में चिंता इस बात की थी कि कैसे उपचार होगा और कैसे दवा के साथ सही खान पान हो पाएगा। लेकिन जब उन्हें बताया गया कि सही समय पर दवा खाएंगी तो वे जल्द ही स्वस्थ हो जाएंगी और हर माह उन्हें निक्षय पोषण योजना के तहत सहयोग राशि भी मिलेगी तो उन्हें हिम्मत आई। उन्होंने बताया कि अब उन्हें दो महीने उपचार कराते हुए हो गए हैं। 

इस बीच उन्हें स्वयंसेवी संस्था मंडोना ग्रामीण विकास संस्थान की ओर से पोषण किट भी मिली है। उन्होंने बताया कि अब उन्हें पोषण आहार और दवा के लिए चिंता नहीं करनी पड़ती है। अब उनकी तबीयत में भी तेजी से सुधार हो रहा है। क्षय रोगी भावना बताती हैं कि उन्हें उपचार कराते हुए तीन माह हो गए हैं। उन्हें अब काफी आराम है। उन्होंने बताया कि मुफ्त में बेहतर उपचार और साथ में स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से पोषण किट मिलने से उनका बोझ काफी हद तक कम हुई है। 

इसके साथ ही निक्षय पोषण योजना के तहत उनके खाते में भी हर माह 500 रुपये आ जाते हैं। इससे काफी मदद होती है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. संजीव यादव ने बताया कि हम जनपद को 2025 तक टीबी मुक्त करने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसमें सामाजिक संस्थाओं का भी हमें सहयोग मिल रहा है।

 विभाग और सामाजिक संस्थाओं के गठबंधन से हम क्षय रोगियों को प्रतिमाह पोषणयुक्त सामग्री जैसे गुड़, चना, सत्तू, बॉर्नविटा दाल आदि पोषण सामग्री प्रदान कर करते है। जो दवाओं के साथ साथ उनके अंदर कैलोरी की कमी को दूर करती है। इसमें मंडोना ग्रामीण विकास प्रतिष्ठान बखूबी साथ निभा रहा है।