अर्श से फर्श तक

अर्श से फर्श पर आने में,

जरा भी देर नहीं लगती।

बाजी को पलटने में ,

पल भर देर नहीं लगती।।


मद में चूर मत होना,

खुदा से दूर मत होना।

दौलत के नशे में तुम,

कभी मगरूर मत होना।।


मुसीबत में साथ दे जो,

दगा उससे ना तुम करना।

धोखे से कभी उस पर,

खंजर से वार मत करना।।


टिका ना दिन कभी भी जब,

टिकेगी रैन फिर कैसे?

टिका ना दुःख कभी यारो,

टिकेगा सुख भला कैसे?


किया अभिमान है जिसने,

सदा मुँह की ही खाई है।

दौलत और शौहरत भी,

कभी ना काम आई है।।


उड़ते हैं गगन में जो,

जमीं उनको नहीं मिलती।

बहारों के मौसम में,

खुशी उनको नहीं मिलती।।


बांटी हैं खुशियाँ जिसने,

खुशी उसने ही पाई है।

किया उपकार है जिसने,

दुआ उसने ही पाई है।।


स्वरचित

सपना (सo अo)

जनपद-औरैया