गरीबी और बेरोजगारी

मर जाते हैं बच्चे भूखे

एक- एक रोटी को तरसते

कहीं तरसते हैं रहने के लिए

सड़कों ऊपर दिन रात कटते

नंगे पाँव रहते हैं हरदम

कौन लगाए आकर मरहम

बस दिखाने के लिए ,इनके जख्मों को

ऊपर से ही सहलाया जा रहा है

पर इस बीमारी को बहुत कम

दिखाया जा रहा है l


मर जाते ये बीच सड़क पर

कोई पूछताश नहीं करता

अरे बड़े घर का होता तो 

ये जमाना पांच मिनट का मौंन रखता 

बेरोजगारी के कारण पढ़े लिखे हैं

देखो आत्महत्या कर रहे हैं

या गरीब भूखे मरते ही

पूरे परिवार सहित मर रहे हैं

पर किसी को यहाँ फर्क नहीं पड़ता l


ये गरीबी और ये बेरोजगारी 

बढ़ चुकी है इस कदर

लेकर डिग्रियाँ हाथ में

धक्के खाते दर ब दर

पर इस फैल रही महामारी पर

कोई ध्यान ही नहीं जताया जा रहा है

जो हद से ज्यादा बढ़ चुकी है

लेकिन इसका आंकडा बहुत कम

है दिखाया जा रहा है l


करमजीत कौर, शहर-मलोट

जिला श्री मुक्तसर साहिब, पंजाब