देश में सोने के गहनों की हॉलमार्किंग अनिवार्य, विरोध में कारोबारी

नई दिल्ली: देश में 1 जून 2021 से शुद्धता की गारंटी देने वाली सोने की ज्वेलरी की हॉलमार्किंग अनिवार्य हो रही है. लेकिन सोने के आभूषण की शुद्धता की गारंटी देने वाली इस व्यवस्था के विरोध में स्वर्ण कारोबारी उतर आए हैं. गोल्ड ज्वैलर्स का कहना है कि हर स्तर पर गोल्ड हॉलमार्किंग से ये व्यवस्था जीएसटी (GST) की तरह जी का जंजाल बन जाएगी. व्यापारियों ने सरकार से कई बदलावों की मांग की है.

बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन योगेश सिंघल का कहना है कि अनिवार्य हॉलमार्किंग को एक साल यानी 1 जून 2022 तक के लिए टाला जाए. ताकि कोरोना महामारी के इस दौर में कारोबारियों को कोई परेशानी न हो. कोरोना (Corona) के कारण ट्रेडर्स का पिछला स्टॉक अभी क्लियर नहीं हो पाया है.सरकार को चाहिए कि एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर व्यापारियों की आपत्तियों और आशंकाओं को इस एक साल के वक्त में दूर करे. 

हर स्तर पर हॉलमार्किंग क्यों

सिंघल का कहना है सोने के आभूषण तैयार करने की होलसेलर, सप्लायर, मैन्युफैक्चरर्स, कारीगर, रिटेलर की 5 स्तरीय व्यवस्था काम करती है, लेकिन अगर सरकार सभी से गोल्ड हॉलमार्किंग कराने को कहेगी तो उनकी कागजी कार्रवाई बढ़ेगी, ज्यादा कर्मचारी रखने होंगे और लागत भी बढ़ जाएगी. यह इंस्पेक्टर राज को बढावा देने वाला कदम होगा. हॉलमार्किंग सिर्फ एक स्तर पर जरूरी हो और सिर्फ यह सुनिश्चित हो कि ग्राहकों को हॉलमार्क के साथ सामान मिले. अगर कारीगर या जॉबवर्क करने वाले भी हॉलमार्किंग कराएंगे तो वे बर्बाद हो जाएंगे.

शुद्धता की जिम्मेदारी लैब पर हो...

सिंघल का यह भी कहना है कि अगर रिटेलर सोने के गहनों पर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स से हॉलमॉर्किंग कराता है तो इसकी शुद्धता की गारंटी देने की जिम्मेदारी उसी बीआईएस लैब या एजेंसी पर हो. इसकी जवाबदेही ज्वैलर्स पर क्यों डाली जाए.सभी के लिए हॉलमार्किंग रजिस्ट्रेशन कराने की जिम्मेदारी डालना भी गलत है.  

लैब की संख्या बढ़ाए सरकार

सिंघल ने यह भी कहा कि सरकार 11 हजार से 80 हजार रुपये तक हॉलमार्किंग रजिस्ट्रेशन फीस  (Jewelers Hallmark Registration Fees) ले रही है. लेकिन पूरे देश में अभी हॉलमार्किंग लैब नहीं खुल पाई हैं. 745 जिलों में 234 जिलों में ही बीआईएस के ऐसे सेंटर हैं. ज्वैलर्स को तमाम गहने लेकर दूरदराज की लैब तक जाएगा तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा. लैब में अगर कोई आभूषण खो जाता है, इस पर क्या व्यवस्था होगा. सरकार को ये सारी बातें पहले स्पष्ट करनी चाहिए. 

गहनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा...

सिंघल के मुताबिक, किसी एक गोल्ड आइटम पर हॉलमार्किंग में 6-8 घंटे तक लग सकते हैं. ऐसे में हर जगह लैब (BIS Lab) नहीं होंगी तो उस पर काम का बोझ काफी बढ़ जाएगा. ऐसे में ग्राहकों को समय पर ज्वैलरी की डिलिवरी करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. इससे स्वर्ण आभूषण (Gold Jewelers) के कारोबारियों के साथ ग्राहकों को भी मुश्किलें आएंगी. हॉलमार्किंग के लिए लंबी लाइनें लग जाएंगीं. खासकर गांव-कस्बों के छोटे कारोबारियों के लिए धंधा करना मुश्किल होगा. 

20 कैरेट ज्वेलरी को भी मंजूरी मिले

स्वर्ण कारोबारियों का यह भी मानना है कि 14, 18 और 22 के साथ 20 कैरेट (Gold Hallmark 14, 18, 22 Carat) की ज्वैलरी भी बनाने और हॉलमार्किंग की इजाजत दी जाए. 20 कैरेट की ज्वैलरी की डिमांड भी बाजार में काफी रहती है. 

हॉलमार्क रजिस्ट्रेशन का अभियान चले...

ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंर्ड्ड्स अभी तक कुल ज्वैलर्स का 10 फीसदी से कम (30-35 हजार) का ही पंजीकरणकरा पाया है. ऐसे में हॉलमार्किंग अनिवार्य करने के पहले विशेष अभियान चलाकर सभी ज्वैलर्स का पहले पंजीकरण कराया जाए. 

व्यापारियों को भरोसे में नहीं लिया गया...

सिंघल के मुताबिक, सोने की हॉलमार्किंग को लेकर 

2008 से कवायद चल रही है, लेकिन बिना इंडस्ट्री को भरोसे में लिए कानून बना दिया गया है. इसमें स्टॉक के 5 गुना तक पेनाल्टी और 1 साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन व्यापारियों के हितों की सुरक्षा का कोई ध्यान नहीं रखा गया है.