मेरे मन के मृदु उपवन में
सुरभित,सुमन,सजीले,
किस झंझा के प्रबल वेग से
हुये पथ पथरीले?
वृहद वृत्त के वृत्तखण्ड अहो!
सुंदर शोभित सपन सलोने।
किस रमणी के दृग मसि
आये हैं इनको धोने?
गहन गह्वर गूँज रहा
आज अथाह अंतर्मन का,
किस मूक वेदना के विषाद से,
शिथिल उच्छवास है तन का?
शिशिर शीत जीवन में
बसंती बयार यौवन का,
किस पतझड़ का करुण वेग,
ले गया प्रभा गगन का?
डॉ. रीमा सिन्हा
लखनऊ-उत्तर प्रदेश