अलग-अलग है बोली अपनी,
अलग-अलग है वेश-भूषा,
पर इंसानियत है धर्म हमारा,
लड़ाई-झगड़ों से रहता किनारा।
अनेकता में एकता का प्रतीक हिंदुस्तां,
हम सब हैं एक ही आसमां।
भाई-चारा से रहते हैं हम सब,
आँच न आने देते भारत माँ पर।
बड़े-बुजुर्ग का करते हम आदर,
शिक्षा-संस्कार अद्भुत है यहाँ पर।
थकते नहीं मंजिल तक चलता कारवां,
हम सब हैं एक ही आसमां।
होली में सलमा बनाती है गुजिया,
ईद पर सोहन खाता सेवईयां।
क्रिसमस हो या गुरुनानक जयंती,
मनाते सब मिलजुल कर यहाँ।
शान से लहराता है तिरंगा,
सबकी हैं मीठी जुबां,
हम सब हैं एक ही आसमां।
डॉ. रीमा सिन्हा (लखनऊ )