वाशिंगटन : आजकल बच्चों को पढ़ाई के साथ स्पोर्ट्स, म्यूजिक जैसी गतिविधियों से जोड़ना की भी जरूरत होती है। स्कूल की छुट्टी के बाद उन्हें घर पहुंचाना और दोबारा तैयार करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। वर्किंग पैरेंट्स के लिए यह और भी मुश्किल है। ऑस्टिन की 45 साल की जेना कवानो का कहना है कि वर्किंग पैरेंट्स के लिए यह एक मुश्किल काम है, उनके तीन बच्चे हैं, जो स्पेनिश, मैथ के अलावा फुटबॉल व वॉलीबॉल सीखते हैं।
जेना कहती हैं सभी जगह एक समय पर मौजूद रहना संभव नहीं है। उन्हें कार नैनी की वहजा से इस समस्या का समाधान मिला। अमेरिका में बड़ी संख्या में पैरेंट्स द्वारा कार नैनी को रखने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। कवानो ने हफ्ते में 20 घंटे के लिए कार नैनी को रखा है।
बच्चों को क्लास ले जाने से लेकर घर छोड़ने तक की जिम्मेदारी नैनी की होती है। हम 4 घंटे का कैब ड्राइवर मानते हैं। अब उसे अलग से कार खरीदकर दे रहे हैं। पेशे से डॉक्टर कवानो कहती हैं, उसे हम 4 घंटे का कैब ड्राइवर मानते हैं। अब उसे अलग से कार खरीदकर दे रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक वेंडी डेन्हम ने सालभर पहले कार नैनी को रखा था। वह उनके बेटे (12 साल) व बेटी (13 साल) को स्कूल छोड़ती हैं। स्कूल के बाद उन्हें म्यूजिक थियेटर व रेसिंग के लिए ले जाती है। इसमें दो घंटे लगते हैं। वह कहती हैं, वर्किंग मदर्स के लिए इतना अतिरिक्त समय निकालना संभव नहीं है। ग्लेडिस सोलोरजानो एजेंसी के जरिए डेन्हम परिवार से जुड़ी।
दोनों बच्चों की देखभाल के लिए उन्हें हफ्ते के करीब 63 हजार रुपए मिलते हैं। वे डॉ. डेन्हम के बच्चों को छोड़ने लाने के लिए अपनी दूसरी कार इस्तेमाल करती हैं। प्रैक्टिस से पहले बच्चों का नाश्ता बनाना व रोजाना स्पोर्ट्स का सामान सलीके से रखने में मदद करती हैं।
ग्लेडिस कहती हैं कि यह काम दो बच्चों की देखभाल से भी मुश्किल है, क्योंकि सार्वजनिक स्थानों पर लगातार सतर्क रहना जरूरी है। कभी- कभी बच्चों के तर्क-वितर्क भी सुलझाना पड़ते हैं। किशोर होते बच्चों को समझाना आसान नहीं होता।श् ग्लेडिस के अनुसार यह काम दोगुनी मेहनत वाला है।