इस ज़माने में इतना करम कर दे मौला

महदूद इस ज़माने में इतना करम कर दे मौला,

ला महदूद इन ख़्वाहिशों पर रहम कर दे मौला।


ख़याबां ए दिल में खिलने लगे हैं गुंचे प्यार के,

उन बर्ग ए गुल पर रहमत ए पैहम कर दे मौला।


बेस्मत सी ज़िंदगी को राह में पासबाँ मिल गया,

झूठ है फिर भी सही, रश्क़ ए भरम कर दे मौला।


आने लगे हैं ख़लव्त ए ख़्वाब इन निगाहों में,

इंतिशार ए दिल पर मलहम कर दे मौला।


दिल मख़सूस है लगता'रीमा' उनकी पनाहों में,

सच इक वही है,बाकी वहम कर दे मौला।


    डॉ. रीमा सिन्हा (लखनऊ)