बहुत तरस आता है,
जब अपने देश में ही,
सबको बेवकूफ बनाने वाले का,
झुण्ड नज़र आते हुए भी,
लोगों को कुछ समझ में नहीं आता है।
तरह-तरह के प्रपंच गढ़े जाते हैं,
विचारों पर मरहम लगाने वाले,
अपनी करतूतों से,
तरह-तरह की योजनाएं बनाते हैं।
यह सबकुछ मुर्ख बनाने का,
कुत्सित प्रयास है,
हमेशा हम सब पर लागू करने का,
करते रहते प्रयास है।
कुछ लोग कुछ-कुछ समझ पाते हैं,
वास्तविक रूप में,
वास्तुकार की गन्दी हरकतों को,
समझने में देर-सवेर,
ही कुछ ही समझ पाते हैं।
मन और आत्मा को,
सम्मान और इज्ज़त वाली ताकत मिलती रहें,
उधम और प्रयास जरूरी है,
आज़ वैश्विक स्तर पर,
भारतीयता की पहचान सुरक्षित बचाने में,
अच्छी सोच समझ की,
अहमियत बढ़ चुकी है,
यह आजमाने की जरूरत है,
समझने और समझाने की,
आज़ बढ़ रही मजबूरी है।
देश सुरक्षित है तो जहां सुरक्षित है,
अपने किरदार में खो जाने वाले लोगों को,
आज़ मजबूती से समझना,
अत्यंत महत्वपूर्ण व जरूरी है।
नासमझ लोग कहते हैं बकवास यहां,
उन्हें समझना और समझाना,
देश की सुरक्षा के लिए,
हर भारतीय की बन गई मजबूरी है।
डॉ० अशोक,पटना, बिहार।