नयी दिल्ली : स्मार्टफोन बनाने वाली चीन की कंपनी वीवो और उसकी सहयोगी कंपनियों के कई कर्मचारियों पर भारत के वीजा नियमों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। इन लोगों ने वीजा आवेदन में अपनी जानकारी छिपाई और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाकों में जाकर नियमों का उल्लंघन किया। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने इस मामले में कोर्ट में फाइल 32 पेज की चार्जशीट में ये आरोप लगाए हैं। इसके मुताबिक वीवो ने चीन में कुछ ट्रेडिंग कंपनियों को 12.87 अरब डॉलर यानी एक लाख करोड़ रुपए से अधिक रकम भेजी।
इन कंपनियों का ताल्लुक चीन में उसकी पेरेंट कंपनी से है। कंपनी ने 2014-15 से लेकर 2019-20 के दौरान कोई प्रॉफिट नहीं दिखाया और कोई इनकम टैक्स नहीं दिया लेकिन भारत से बाहर भारी रकम भेजी। ईडी ने पिछले साल वीवो के एक खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। इसी हफ्ते कंपनी के एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया था। वीवो की भारत के स्मार्टफोन मार्केट में 17 फीसदी हिस्सेदारी है। ईडी के मुताबिक चीन के कम से कम 30 नागरिक बिजनेस वीजा पर भारत आए थे। ये वीवो में काम करते थे लेकिन वीजा आवेदन में उन्होंने कभी भी इसका खुलासा नहीं किया।
ये लोग भारत में कई जगह गए। इनमें जम्मू एंड कश्मीर और लद्दाख भी शामिल है जो वीजा नियमों का उल्लंघन है। भारत में वीवो ग्रुप की कई कंपनियों के कई कर्मचारी वीजा के बिना काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने वीजा आवेदन में अपने एम्प्लॉयर के बारे में जानकारी छिपाई और चीन में भारतीय एंबेसी को धोखा दिया। भारत में विदेशी नागरिकों के लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के इलाकों में जाने पर पाबंदी है। इसके लिए सरकार से खास दस्तावेज की जरूरत होती है जो वीजा से अलग होता है।
पिछले साल ईडी ने वीवो और उसकी सहयोगी कंपनियों के 48 ठिकानों पर छापा मारा था। ईडी का कहना है कि कंपनी चोरी छिपे पैसा विदेश भेजकर भारत में टैक्स देने से बच रही है। देश के मोबाइल फोन मार्केट में चीनी कंपनियों का दबदबा है। इनमें श्याओमी, ओप्पो, वीवो और हुवावे शामिल हैं। भारत में ये कंपनियों दोनों हाथों से कमा रही हैं लेकिन एक भी पैसे का टैक्स नहीं देती हैं। सरकार ने इन कंपनियों के गोरखधंधे को उजागर करने के लिए एक विस्तृत जांच शुरू की है।
चीनी कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने अपनी इनकम के बारे में जानकारी छिपाई, टैक्स से बचने के लिए प्रॉफिट की जानकारी नहीं दी और भारतीय बाजार में घरेलू इंडस्ट्री को तबाह करने के लिए अपने दबदबे का इस्तेमाल किया। साथ ही चीनी कंपनियों पर कंपोनेंट्स लेने और प्रोडक्ट्स के डिस्ट्रिब्यूशन में पारदर्शिता नहीं बरतने का भी आरोप है।
सरकार सभी संभावित मुद्दों की जांच कर रही है। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी की भी इस पर करीबी नजर है। चीनी कंपनियों ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में जो फाइलिंग की है, उसमें घाटा दिखाया है। जबकि इस दौरान उनकी जबरदस्त बिक्री रही और सबसे ज्यादा फोन बेचने वाली कंपनियों की लिस्ट में वे टॉप पर रहीं।