दौलत

सुखाकर राख कर देने वाला धूप,

हड्डी को गला डालने वाली ठंड में भी

बिना किसी झिझक,

बिना प्रतिरोध करते रहते हैं काम,

वजह एक ही है दौलत,

जी हां इस जहां में सब कुछ है

जिसकी बदौलत,

बड़ी थेथरई से लोग कह तो देते हैं

कुछ साथ नहीं जाएगा,

सब कुछ यहीं रह जाएगा,

मगर ये नहीं बताते कि

जिंदगी सुखपूर्वक जीने के लिए

सारी उमर दौलत ही काम आएगा,

कहते हैं कि शोहरत ज्यादा जरूरी है,

मगर क्या शोहरत पेट भर देगा?

इससे घर,परिवार,जिंदगी निखर लेगा?

आदमी की पहली आवश्यकता है

इस जहां में जिंदा रहना,

लाचार,मजबूर,अपंग,दौलतमंद का

काम है मुफ्त का बोल बचन है कहना,

दौलत की अहमियत उनसे पूछ

जो दिन भर ढूंढते हैं कचरे के ढेर में

क्षुधा शांत करने की दवाई,

पन्नी बीनते बच्चे,महिलाएं या

वो कामगार जो पैरों में लिए हों बिवाई,

दौलत भविष्य बनाने वाले से कम नहीं है,

ऐसे कितने हैं जिनका

दौलत के बिना गम नहीं है?

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ छग