बाप्पा सुनो ना

बाप्पा सुनो ना बाप्पा

मेरी एक बात मानोगे

तुम्हे आठ दिन हुए

और कुछ दिन रुकोगे


लम्बोदारा सुनो एकदंता

तू सुखकर्ता तू दुःखहर्ता

संकट को हमारे तू हर्ता

तू हे सब कर्ता करवीता 


कानो को आदत हो गईं 

सुबह शाम गीत दें सुनाई 

तेरी आरती कि हो तयारी

भोग में लगती हे मिठाई


तूम मेहमान बनके आते हो

हमसे बोल भी न पाते जो

तेरी सेवा का मौका और दो

कुछ आगे कि बताके जाओ


तेरी कृपा से सब ठीक होगा

जो जैसा कर्म करे वैसा भरेगा

गजपति तू हि हे मंगलमुर्ती

तेरी भक्ती से मिले मुझे स्फूर्ति


कु, कविता चव्हाण, जलगांव, महाराष्ट्र