पंचायत सहायकों के अल्प मानदेय पर किया जा रहा उनका शोषण

सचिव एवं प्रधानो के द्वारा जबरन पंचायत सहायकों से जॉब चार्ट के विरूद्ध कार्य कराना 

शासन की अनुशंसा के बावजूद सचिव एवं प्रधानो द्वारा भुगतान पंचायत सहायको से न कराकर प्राइवेट व्यक्तियों से कराना

महोबा | उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने अपनी नेक इरादों के चलते पंचायत सहायकों के पदों का सृजन किया था ताकि हर ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार एवं क्रियान्वयन सुचारू रूप से किया जा सके लेकिन ज्यादातर जिलों में जिला प्रशासन के मनमानी रवैया एवं गलत आदेशों के चलते उनके जॉब कार्ड के विमुख कार्य कर कर उनका लगातार शोषण किया जा रहा है। 

इसी के चलते कई जिलों में पंचायत में कंप्यूटर सहायकों से राजस्व विभाग स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य विभागों के संपूर्ण कार्य कंप्यूटर सहायकों से ही करवाए जा रहे हैं इसके बदले उनका समय पर ना तो वेतन दिया जा रहा है और ना ही उन्हें किसी निश्चित दिन अवकाश ही दिया जा रहा है। 

टाइम टेबल भी उनका ऐसा है कि किसी भी समय अधिकारी उन्हें फोन कर उनसे डाटा प्राप्त करने की चाह रखते हैं ऐसे में योगी सरकार को देखना होगा कि जिस नियत के चलते कंप्यूटर सहायकों के पदों का सृजन किया गया था उसके आधार पर उनके साथ घोड़जातियां की जा रही हैं। 

इसकी ना तो वह किसी अधिकारी से शिकायत ही कर सकते हैं और ना ही उनकी कोई अधिकारी सुनने को तैयार है 200 के प्रतिदिन के मेहनत भक्ति पर उन्हें कार्य करना पड़ रहा है बल्कि देखा जाए तो मजदूर का इस समय का प्रतिदिन का भुगतान 210 से 230 के बीच किया जाता है उन्हें 200 में ही अपनी 12 घंटे की ड्यूटी अनवरत सातों दिन करनी पड़ती है । 

इसी के चलते अभी कुछ जिलों जिम बांदा हमीरपुर एवं चित्रकूट के पंचायत सहायकों ने जिला स्थान स्तरीय अधिकारियों को ज्ञापन के माध्यम से अतिरिक्त विभागों के कार्य उन्हें न शोपने हेतु प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन उनकी एक न सुनी गई ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देखना होगा कि उन्होंने जिस मनसा के तहत ग्रामों में सरकारी योजनाओं के प्रचार प्रसार हेतु इनका चयन किया था क्या वह सुचारू रूप से जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है या फिर नाहक ही इन्हें परेशान किया जा रहा है।