मुक्कमल हों ज़िन्दगी,
खुशनुमा संसार के लिए,
शब्दों पर एतबार जरूरी है।
आगे बढ़ने में हरपल,
इसकी बड़ी अहमियत है,
इस कारण आज़,
सफ़ल होने के लिए,
इसकी बढ़ रही मजबूरी है।
यह प्यार और स्नेह से,
अभिभूत होकर आगे बढ़ने में,
मदद करता है।
सफलता और समृद्धि को,
पाने में हरक्षण बिना थके हुए,
सबको कामयाब करते हुए,
अपने किरदार में,
सफ़ल दिखता है।
यह आत्मीय और सुकून देने वाली,
बड़ी सी सीख दे जाती है,
सुनहरे अल्फ़ाज़ में खुशहाली की,
महकती हुई धार बनकर,
सबको नजदीक पहुंचाने में,
कामयाबी दिलाती है।
यह बात कही जा रही है,
सबमें अपनत्व विवेक और विश्वास से,
नजदिकियां बढ़ा रहीं हैं।
आओ हम-सब मिलकर यहां,
एक सुंदर और आकर्षक माहौल बनाएं,
खुशियां और आनन्द से,
लबालब भर गई संसार में,
शब्दों को गूंथने में लग जाएं।
डॉ ०अशोक, पटना, बिहार।