राष्ट्रकवि दिनकर जी

जोश भर दे जो रुधिर में,

शब्दों का वो प्रहार चाहिए।

पराजित करे बारूद को,

गाँडीव की वो टंकार चाहिए।

दिनकर, हमें आप जैसे

कवि बार बार चाहिए...


दौड़ जाये जो आसमां तक

सुधा निचोड़ने को,

मार्तण्ड सहम जाये

रश्मियां समेटने को,

वद्रोह की धधक में

वो अंगार चाहिए,

दिनकर, हमें आप जैसे

कवि बार बार चाहिए...


सिंह जैसी गर्जना

सिंहपौर तक पहुँचाये,

शब्द समिधा कर प्रज्वलित

जो इतिहास रचाये,

कोकिल कंठ नहीं

असि धार चाहिए,

दिनकर, हमें आप जैसे

कवि बार बार चाहिए...


डॉ.रीमा सिन्हा (लखनऊ )