मै कलमकार मै गीतकार मै दर्शन का अनुयायी हुँ,
मै गजलकार, मै गद्यकार ,आधुनिक काव्य रचनाएँ हुँ ।
मै प्रेम शब्द को लिखता हुँ , अपने शब्दों में गढ़ता हुँ ,
मै मौन मौन सा रहता हुँ ,कुछ बातो को ही लिखता हुँ।
कुछ शब्द नही मिल पाते है , पर भावों से चुन लेता हुँ ,
जीवन कठोर सह लेता हुँ , कविताओं में कह देता हुँ।
नाराज सभी से होता हुँ , पर क्षम्य जल्द कर देता हुँ
मै भावो को कह देता हुँ , कलमो से सब लिख देता हुँ ।
भीतर के सारे पीड़ा कों , कविताओं में कह देता हुँ ।
मै मौन मौन सा रहता हुँ , कुछ बातो कों ही लिखता हुँ ।
रातों में नींद ना आये तो , मै कलम चलाता रहता हुँ ।
जो भी कहना हो हास्य व्यंग, सब नज्मों में कह देता हुँ
जीवन के सारे अनुभव कों , मै आत्मकथा में लिखता हुँ ,
मै मौन मौन सा रहता हुँ , कुछ बातो कों ही लिखता हुँ ।
स्वरचित रचना - कवि नीरज इलाहाबादी